फिर हाथ में शराब है, सच बोलता हूँ मैं
फिर हाथ में शराब है, सच बोलता हूँ मैं
ये चीज़ लाजवाब है, ये चीज़ लाजवाब है, सच बोलता हूँ मैं
फिर हाथ में शराब है, सच बोलता हूँ मैं
गिन कर पियूं मैं जाम तो होता नहीं नशा
गिन कर पियूं मैं जाम तो होता नहीं नशा
मेरा अलग हिसाब है, मेरा अलग हिसाब है, सच बोलता हूँ मैं
फिर हाथ में शराब है, सच बोलता हूँ मैं
साकी यकीन ना आये तो, गर्दन झुका के देख
साकी यकीन ना आये तो, गर्दन झुका के देख
शीशे में माहताब है, शीशे में माहताब है, सच बोलता हूँ मैं
फिर हाथ में शराब है, सच बोलता हूँ मैं
हाथों में एक जाम है, होंठों पे एक ग़ज़ल
हाथों में एक जाम है, होंठों पे एक ग़ज़ल
बाक़ी ख़याल-ओ-ख्वाब है, बाक़ी ख़याल-ओ-ख्वाब है, सच बोलता हूँ मैं
फिर हाथ में शराब है, सच बोलता हूँ मैं
फिर हाथ में शराब है, सच बोलता हूँ मैं
- "phir haath mein sharab hai" by PANKAJ UDHAS.
Aug 19, 2007
Phir haath mein sharaab hai
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
जाम में जो मजा वह और कहां। स्वागत है हिन्दी चिट्ठा जगत में।
हन्दी में और भी लिखिये।
Post a Comment