आज से पहले आज से ज़्यादा
कुशी आज तक नहीं मिली
इतनी सुहानी ऐसी मीठी
घड़ी आज तक नहीं मिली
आज से पहले आज से ज़्यादा...
इस को संजोग कहें या किस्मत का लेखा
हम जो अचानक मिले हैं
मन चाहे साथी पाकर हम सब के चहरे
देखो तो कैसे खिले हैं
तकदीरों को जोड़ दे ऐसे
किन्हीं तकदीरों को जोड़ दे ऐसे
लड़ी आज तक नहीं मिली
आज से पहले आज से ज़्यादा...
सपना ओ जाए पूरा, जो हमने देखा
ये मेरे दिल की दुआ हाय
ये पल जो बीत रहें हैं इन के नशे में
दिल मेरा गाने लगा हाय
इसी कुशी को धूंध रहे थे
हम इसी कुशी को धूंध रहे थे
यही आज तक नहीं मिली
आज से पहले आज से ज़्यादा...
- From the movie Chitchor.
Reinventing myself, once again
4 years ago